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भारत में बढ़ते कोरोना वायरस के मामले, एनबी.1.8.1 और एलएफ.7 वैरिएंट कितना खतरनाक

भारत में कोविड-19 के नए वैरिएंट एनबी.1.8.1 का एक मामला और एलएफ.7 वैरिएंट के चार मामले सामने आए हैं। यह जानकारी भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के आंकड़े से मिली। मई 2025 तक की स्थिति के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) एलएफ.7 और एनबी.1.8.1 सब-वैरिएंट को निगरानी में रखे जाने वाला स्वरूप मानता है, न कि चिंताजनक वैरिएंट के रूप में। मगर, ये वे स्वरूप हैं जिनकी वजह से चीन और एशिया के कुछ हिस्सों में कोविड के मामलों में वृद्धि हो रही है।

इंसाकॉग के आंकड़े के अनुसार, अप्रैल में तमिलनाडु में एनबी.1.8.1 का एक मामला और मई में गुजरात में एलएफ.7 के चार मामले सामने आए। भारत में सबसे आम वैरिएंट जेएन.1 बना हुआ है। जांच किए गए नमूनों में इसके 53 प्रतिशत मामले शामिल हैं। इसके बाद बीए.2 (26 प्रतिशत) और अन्य ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20 प्रतिशत) हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रारंभिक जोखिम आकलन में एनबी.1.8.1 को वैश्विक स्तर पर कम सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम वाला माना गया है। इसके स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन जैसे ए435एस, वी445एच और टी478आई वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामकता व प्रतिरक्षा से बचने की क्षमता का संकेत देते हैं।

दिल्ली में कोविड के 23 नए मामले दर्ज

19 मई तक की स्थिति के अनुसार देश में कोविड के 257 मामले थे। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में हाल ही में एक बैठक हुई। इसमें राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और अन्य प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और स्थिति की समीक्षा की। हालांकि, कई क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर वृद्धि दर्ज की गई है। दिल्ली में कोविड के 23 नए मामले दर्ज किए गए, आंध्र प्रदेश में पिछले 24 घंटे में चार मामले सामने आए, तेलंगाना में एक मामले की पुष्टि हुई। पिछले 20 दिनों में क्रमिक वृद्धि के बीच बेंगलुरु में 9 महीने का बच्चा जांच में संक्रमित पाया गया।

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